सिल्ली में घर में घुसा भटकता ‘किला बाघ’, रेस्क्यू कर पलामू टाइगर रिजर्व में छोड़ा गया

Photo Source : Google

Posted On:Friday, June 27, 2025

रांची न्यूज डेस्क: छत्तीसगढ़ के गुरु घासीदास जंगल में जन्मा एक रॉयल बंगाल टाइगर, जिसे 'किला बाघ' के नाम से जाना जाता है, बीते दो वर्षों से लगातार जंगलों में भटकता रहा। दो साल पहले यह बाघ जंगल से भटककर पलामू टाइगर रिजर्व पहुंचा था। वहां करीब 18 महीने तक रहने के बाद वह चतरा के जंगल में चला गया और फिर भोजन की तलाश में हजारीबाग, गुमला और दलमा के जंगलों से होता हुआ खूंटी के रास्ते राजधानी रांची के ग्रामीण इलाकों तक जा पहुंचा।

पिछले दो महीने से यह बाघ बुंडू और नामकुम के जंगलों में दिखाई दे रहा था। लेकिन बुधवार की सुबह उसने रांची के सिल्ली इलाके के एक घर में प्रवेश कर लोगों को चौंका दिया। इसकी सूचना मिलते ही पलामू टाइगर रिजर्व की विशेष टीम मौके पर पहुंची और ‘ऑपरेशन सम्राट’ चलाकर बाघ को सुरक्षित रेस्क्यू कर लिया।

बाघ को बेहोश करने के लिए उसे इंजेक्शन दिया गया और पिंजरे में डाला गया। रेस्क्यू के दौरान बाघ ने पिंजरे में काफी विरोध किया और पंजों से लगातार हमला करता रहा। टीम ने जरूरी प्रक्रिया पूरी करने के बाद गुरुवार को उसे वापस पलामू टाइगर रिजर्व में छोड़ा, जहां अब वह पूरी तरह सुरक्षित है।

पलामू टाइगर रिजर्व के उपनिदेशक प्रजेशकांत जेना के मुताबिक, किला बाघ की उम्र करीब 4 साल 6 महीने है और उसका वजन लगभग 200 किलो है। यह रॉयल बंगाल टाइगर पूरी तरह से स्वस्थ और सामान्य व्यवहार वाला है। सबसे खास बात यह है कि यह बाघ पहली बार 2023 में कैमरे में नजर आया था, लेकिन अब तक किसी इंसान ने इसे प्रत्यक्ष रूप से नहीं देखा था। अब यह दोबारा अपने प्राकृतिक आवास में सुरक्षित पहुंच चुका है।


रांची और देश, दुनियाँ की ताजा ख़बरे हमारे Facebook पर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें,
और Telegram चैनल पर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें



You may also like !

मेरा गाँव मेरा देश

अगर आप एक जागृत नागरिक है और अपने आसपास की घटनाओं या अपने क्षेत्र की समस्याओं को हमारे साथ साझा कर अपने गाँव, शहर और देश को और बेहतर बनाना चाहते हैं तो जुड़िए हमसे अपनी रिपोर्ट के जरिए. ranchivocalsteam@gmail.com

Follow us on

Copyright © 2021  |  All Rights Reserved.

Powered By Newsify Network Pvt. Ltd.